इतना तो करना स्वामी
जब प्राण तन से नीकले
शीव के मन शरण हो |
जीवहा पर हर भजन हो |
तृष्णा से शांत मन हो |
जब प्राण तन से नीकले
शीव के मन शरण हो |
जीवहा पर हर भजन हो |
तृष्णा से शांत मन हो |
Grey shards of memories, generate resembling images, Whether I like it or not, My mind thinks Logically.
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